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भारतीय शिक्षा समिति , उत्तर प्रदेश

सरस्वती कुञ्ज , निरालानगर, लखनऊ

ताज़ा समाचार

शिक्षा में सतत अध्ययन और व्यक्तिगत विकास के लिए एक सशक्त आधार तैयार करना हमारा उद्देश्य है।हैं |

2024-2025 बोर्ड परिणाम के होनहार छात्र

बोर्ड परीक्षा 2024-2025 में इन होनहारों ने सफलता की ऊँचाइयों को छूकर हमारा मान बढ़ाया।हैं |

शुभी वर्मा 600/581= 96.83%

हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा 2025 में प्रदेश में सातवाँ स्थान

यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -10

हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा 2025 में प्रदेश में सातवाँ स्थान 

अभिषेक कुमार यादव 586/600= 97.67%

हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा 2025 में प्रदेश में दूसरा स्थान

यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -10

हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा 2025 में प्रदेश में दूसरा स्थान 

शिशु वाटिका

शिशु वाटिका

खेल-आधारित शिक्षा के माध्यम से युवा मनों को पोषित करना और सामाजिक, भावनात्मक, और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करना हमारी प्राथमिकता हैं

नगरीय एवं  ग्रामीण विद्यालय

नगरीय एवं ग्रामीण विद्यालय

प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के समुचित विकास के माध्यम से सतत शिक्षा को प्रोत्साहित करना एवं प्रत्येक विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए एक सशक्त आधार तैयार करना ही हमारा प्रमुख लक्ष्य है।

संस्कार केंद्र

संस्कार केंद्र

संस्कार केंद्र विद्यार्थियों में राष्ट्रभक्ति, नैतिकता, अनुशासन, सेवा-भाव, और भारतीय संस्कृति के आदर्शों का विकास कर उन्हें चरित्रवान एवं जागरूक नागरिक बनाने का माध्यम है।

भारतीय शिक्षा समिति उ0प्र0

भारतीय शिक्षा समिति उ0प्र0’’ एक शैक्षणिक संस्था है। इसका कार्यालय सरस्वती  कुंज परिसर, निरालानगर-लखनऊ में स्थित है। इसकी स्थापना 1972 में हुई थी। इसका पंजीयन सोसाइटी  रजिस्ट्रेशन एक्ट 21 सन् 1960 के अन्तर्गत दिनांक 12.07.1972 में हुआ। तथा इसका पंजीकरण संख्या  381/72-73 है। इसका कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण उ0प्र0 है। इस समिति का उद्देश्य अपनी स्मृति पत्र एवं  नियमावली में स्पष्ट किया गया है। भारतीय शिक्षा समिति अपने पंजीकृत नियमावली के अनुसार संचालित  होती है।  

भारतीय शिक्षा समिति उ0प्र0 का कार्य इस प्रकार की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना है  जिसके द्वारा ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण हो सके...

Know More

130

विद्यालय

52674

छात्रों की संख्या

2013

आचार्य संख्या

7

अटल टिंकरिंग लैब

आज का सुविचार

“ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। “

“स्वामी विवेकानंद”

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